मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना
उद्देश्य :
18 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों से बाहर आने के दौरान वित्तीय और शैक्षिक सहायता प्रदान करना (देखभाल के बाद), जिसका उद्देश्य उन्हें सफलतापूर्वक समाज में पुनः एकीकृत करना है।
18 वर्ष तक की आयु के अनाथ बच्चों को वित्तीय सहायता (प्रायोजन) प्रदान करना, जो अपने रिश्तेदारों या अभिभावकों के साथ रह रहे हैं।
योजना के अंतर्गत सहायता दो प्रकार की होगी –
चिंता
प्रशिक्षण –
इंटर्नशिप, रोजगार व्यक्ति की योग्यता के अनुसार उपलब्ध कराया जाएगा। इंटर्नशिप अवधि में रू0 5,000/- प्रतिमाह दिया जाएगा, जो इंटर्नशिप अवधि की समाप्ति तक या एक वर्ष तक, जो भी कम हो, देय होगा, किन्तु किसी भी स्थिति में यह 01 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगा।
व्यावसायिक प्रशिक्षण –
पॉलिटेक्निक डिप्लोमा, आईटीआई, पैरामेडिकल पाठ्यक्रम, नर्सिंग, होटल मैनेजमेंट, पर्यटन, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री कौशल विकास आदि के अन्तर्गत सरकारी संस्थाओं में दिया जाने वाला व्यावसायिक प्रशिक्षण सम्बन्धित विभाग द्वारा निःशुल्क प्रदान किया जायेगा। व्यावसायिक प्रशिक्षण अवधि में रू0 5,000/- प्रतिमाह की आर्थिक सहायता दी जायेगी, जो व्यावसायिक प्रशिक्षण अवधि की समाप्ति तक अथवा दो वर्ष तक, जो भी कम हो, देय होगी, किन्तु किसी भी दशा में 02 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए नहीं होगी।
तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा एवं आयुष शिक्षा तथा विधिक शिक्षा सहायता –
नीट, जेईई या क्लैट प्रवेश परीक्षा के आधार पर किसी भी सरकारी/गैर-सरकारी संस्थाओं में प्रवेश लेने वाले केयर लीवर्स को अध्ययन अवधि के दौरान 5,000 से 8,000 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता दी जाएगी तथा पाठ्यक्रम अवधि तक फीस नियामक आयोग द्वारा निर्धारित शुल्क राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
प्रायोजन
आर्थिक सहायता–
योजनान्तर्गत पात्र पाये गये प्रत्येक बच्चे को प्रतिमाह रू0 4000/- की धनराशि दी जायेगी, जो बच्चे एवं उसके रिश्तेदार या अभिभावक के संयुक्त खाते में जमा होगी, जो न्यूनतम 01 वर्ष की अवधि के लिए होगी। बच्चे या परिवार की आर्थिक समृद्धि में सुधार न होने की स्थिति में अवधि बढ़ाई जा सकेगी, किन्तु किसी भी दशा में अधिकतम 18 वर्ष की आयु के पश्चात धनराशि देय नहीं होगी।
चिकित्सा सहायता – चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्रत्येक बच्चे का आयुष्मान कार्ड बनाया जाएगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए बच्चों की सूची सहित आवश्यक जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को उपलब्ध कराएंगे।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
बाद की देखभाल के लिए
रिहाई की तारीख सहित 05 वर्षों तक लगातार बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले बच्चे।
अनाथ, परित्यक्त बच्चे के मामले में, बाल देखभाल संस्थान में निवास के लिए आवश्यक अवधि से संबंधित पात्रता में छूट दी जाएगी।
यदि बच्चे को गोद लेने, पालन-पोषण देखभाल का लाभ नहीं मिल रहा है, लेकिन बच्चा बाल देखभाल संस्था में पुनर्वासित है और गोद लेने व पालन-पोषण देखभाल की अवधि भी पात्रता अवधि में गिनी जाएगी।
वित्तीय सहायता, इंटर्नशिप, व्यावसायिक प्रशिक्षण और शिक्षा निर्धारित समयावधि या 24 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, दी जाएगी।
प्रायोजन के लिए:
बच्चों की आयु 18 वर्ष से कम होनी चाहिए।
बच्चे के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है।
बच्चे को अपने रिश्तेदार या अभिभावक के साथ रहना चाहिए
रिश्तेदार/अभिभावक मुख्यमंत्री कोविड 19 बाल सेवा योजना के अंतर्गत पात्रता के दायरे में नहीं आना चाहिए,
देखभाल के बाद:
प्रत्येक बाल देखभाल संस्थान का अधीक्षक/प्रबंधक बाल देखभाल संस्थान में रहने वाले 17 वर्ष की आयु पूरी कर चुके बच्चों की पहचान करेगा तथा पहचाने गए बच्चों के लिए व्यक्तिगत देखभाल योजना तैयार करेगा।
औद्योगिक संस्थानों में इंटर्नशिप करने वाले, व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों की अलग से सूची एवं डाटाबेस तैयार किया जाएगा।
योजना के अंतर्गत गठित समिति द्वारा जांच के बाद प्रकरणों को स्वीकृति दी जाएगी। यह स्वीकृति आदेश प्रत्येक लाभार्थी को प्रतिवर्ष जारी किया जाएगा तथा इसके लिए पूरी प्रक्रिया समय से पहले पूरी की जाएगी। स्वीकृति आदेश योजना के अंतर्गत गठित समिति द्वारा जांच के बाद जारी किए जाएंगे।
प्रायोजन –
जिला कार्यक्रम अधिकारी/जिला बाल संरक्षण अधिकारी (महिला एवं बाल विकास विभाग) की जिम्मेदारी होगी कि वे ऐसे परिवारों की पहचान करें, जिन्हें इस योजना का लाभ दिया जा सकता है तथा उनसे संपर्क कर आवेदन भरवाएं। सभी लाभ पोर्टल के माध्यम से दिए जाएंगे।
योजना के पोर्टल में पंजीकृत बच्चे की गृह अध्ययन रिपोर्ट तथा परिवार की सामाजिक जांच रिपोर्ट जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा मध्यप्रदेश (प्रायोजन) दिशा-निर्देश, 2020 में निर्धारित प्रारूप में तैयार की जाएगी।
परिवार की गृह अध्ययन रिपोर्ट एवं सामाजिक जांच रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेजों की जांच के बाद ऐसे बच्चों की सूची तैयार कर बाल कल्याण समिति को भेजी जाएगी।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी से प्राप्त सूची के अनुसार बालकों की सामाजिक जांच रिपोर्ट एवं अन्य दस्तावेजों की जांच एवं मूल्यांकन के आधार पर बाल कल्याण समिति किशोर न्याय अधिनियम एवं नियम में दी गई प्रक्रिया का पालन करते हुए बालकों को देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बालकों के रूप में घोषित करेगी।
योजना के तहत केवल उन्हीं बच्चों को लाभ दिया जाएगा जिन्हें बाल कल्याण समिति द्वारा देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले घोषित किया गया है। ऐसे सभी चिन्हित बच्चों की सूची जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा गृह अध्ययन एवं सामाजिक जांच रिपोर्ट के साथ उक्त समिति को अनुशंसा हेतु भेजी जाएगी।
प्रायोजन योजना के अंतर्गत परिवार/बच्चे की समृद्धि की जांच तथा योजना के अंतर्गत लाभ जारी रखने अथवा समाप्त करने का निर्धारण योजना के अंतर्गत गठित समिति द्वारा किया जाएगा। यह स्वीकृति आदेश प्रत्येक लाभार्थी के लिए प्रतिवर्ष जारी किया जाएगा तथा इसके लिए सम्पूर्ण प्रक्रिया समय से पूर्व पूर्ण की जाएगी। स्वीकृति आदेश पोर्टल से ही जारी किए जाएंगे।
आवश्यक दस्तावेज
1.आधार कार्ड.
2.मतदाता पहचान पत्र.
3.जन्म प्रमाण पत्र.
4.बच्चे के माता-पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र।
5.बच्चे का स्कूल सर्टिफिकेट यानी मार्कशीट
Post Comment